हो गई है पीर, पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से अब कोई गंगा निकलनी चाहिये,
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
कवि दुष्यंत के कहे इन कथनों को अब चरितार्थ करने की जरुरत है। हमारे देश में भी अब एक आन्दोलन ,एक बदलाव की जरुरत है। हम भारतीय भले ही अपनी गंगा -जमुनी संस्कृति और साझे विरासत पर गर्व करे लेकिन आज हमारे देश में साम्प्रदायिकता हावी है। साझे विरासत पर क्षेत्रवाद हावी है। ऐसे में हम युवाओ को अमेरिकी बराक ओबामा से और अमेरिकियों से सबक लेने की जरुरत है.जहाँ राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपने पहले भाषण में ओबामा ने संबोधित किया -" वी आर नॉट रेड ऑर ब्लू स्टेट्स , वी ऑल आर यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका " । मतलब अमेरिका एक है। वही हमारे भारत में अभी क्षेत्रवाद भयानक रूप ले चुका है। बिहारी , बंगाली, मराठी, असामी सभी की जंग छिडी है। धर्म के नाम पर हम बंट चुके हैं। धर्म भी भयावह रूप ले चुका है, मुस्लिम और हिंदू आतंकवाद की बात की जा रही है।
ऐसे में युवाओं को ख़ुद समझना होगा क्षेत्रवाद, धर्म जैसे मुद्दों से किनारा कर भारत को एक बनाना होगा । कहते है ना -" गंगा की कसम ......यमुना की कसम , ये ताना बाना बदलेगा, तू ख़ुद तो बदल .....तू ख़ुद तो बदल तब ये ज़माना बदलेगा........
The worldwide economic crisis and Brexit
8 years ago
4 comments:
akhelesh jee dushyant jee age kahete hai ki
Hungama Khada Karna mera maksad nahi:
meri koshish hai ki yea surat badalni chahiyea:
es desh ka bhala yuwa hi kar sakte hain aur eaa ek dum sahi Samay hai.
America jab apna rashtrapati chunta hai toa hamesh ek josh se bhara chehara samne aata hai: aur wahin jab hum dekhte hain aapne netaown ko toa dukh hota hai: Na unme josh hota hai na kam karne ka jazaba
सही है!!
sahi hai
ham badelenge yug badega .
dhanyawad.
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