Thursday, February 21, 2008

मीडिया की मंडी

एक मीडिया पर्सन दूसरो पर हो रहे जुल्मों सितम की आवाज़ जोर शोर से उठाता है । पर मीडिया हाउस में ख़ुद पर हो रहे अत्याचार को वह चुपचाप सह लेता है । लेकिन इस चुप्पी के पीछे उसकी मज़बूरी यह नही होती की वह कमजोर इन्सान है , अब पत्रकार नौकरी करते हैं । और जो लोग नौकरी करते हैं उनकी अपनी व्यावसायिक समस्याएँ होती हैं । यही समस्या पत्रकारों के भी साथ होती है । पत्रकारिता एक पेशा है जहाँ समाज में हो रहा जुल्मोसितम बिकाऊ मसाला है । इसी लिए मीडिया हॉउस के मालिक ऐसे मामलों को तो उठाते हैं ,लेकिन पत्रकारों के साथ उनका सलूक ख़ुद ही जयादती भरा होता है ।

Wednesday, February 6, 2008

इस जगत में ऐसा ही होता है

हम बात कर रहे हैं राजनीती की ,यहाँ पल पल अपने वादों से पलटना, नित्य नए नए गठबंधन बनाना आम बात है । पर हमेशा यही होता है हर नए गठबंधन को हमारे नेता जनता के हितों के लिए की गई आपसी सहमति बताते हैं । पर अब तक हुए ऐसे समझौते या सहमति से जनता का कितना हित हुआ है यह जवाब किसी के पास भी नही । वज़ह यह है कि ये सारे गठबंधन स्वार्थ के बुनियाद पर बने हैं । नेताओं का हित जब तक पूरा हुआ गठबंधन भी बना रहा । अब ऐसा ही स्वार्थपरक गठबंधन बनाने के लिए झारखण्ड के पूर्व मुख्यमन्त्री बाबूलाल मरांडी लालायित दिख रहें हैं । ६ फरवरी को उनके द्वारा आयोजित परिवर्तन रैली का उद्देश्य भी अपने इसी नए गठबंधन को जनता के सामने लाना है । कभी सफ़ेद धोती के नीचे आर एस एस की खाकी हाफ पैंट पहनने वाले बाबूलाल आज धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद का मुखौटा लगाकर समाजवादी कहे जाने वाले नेता मुलायम सिंह ,अमर सिंह के साथ राजनीतिक मंच पर आने के लिए आतुर हैं । अब देखना है उनका यह नया गठबंधन झारखण्ड और यहाँ की जनता के लिए कितना हितकारी होता है?

Monday, February 4, 2008

हाय रे राजनीती

राजनीती अब सिर्फ राज करने की नीति बन गई है । यह बात अब स्पस्ट हो गई है । केवल सत्ता पाने के लिए राजनेता बयानबाजी ही नहीं करते बल्कि देश में अलगाववाद लाने से भी परहेज़ नहीं करते । अभी अभी mumbai मैं नॉर्थ इंडियन के विरुद्ध जो गतिबिधियाँ हो रही हैं उसका गुनाहगार सिर्फ और सिर्फ राजनीती है ।
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