Wednesday, April 21, 2010

मीडिया के आहूजा और नित्यानंद-भीमानंद

शाइनी आहूजा, स्वामी नित्यानंद और भीमानंद कुछ ऐसे नाम है जिनकी सच्चाई सामने नहीं आती तो आज भी ये काले कारनामे करने के बावजूद शान की जिन्दगी जी रहे होते. शाइनी के फैन्स रंगीन दुनिया के इस हीरो को वैसा ही भोला भाला मानती जैसे की वो अपनी फिल्मो में एक्टिंग करता, फिल्मो के अनुसार उसकी छवि कभी गंभीर बनती तो कभी चॉकलेटी जैसे की उसकी सूरत थी. पर वास्तविक जीवन में शाइनी की सीरत सबके सामने है. बाबा जिसके भक्तों में बड़े से बड़ा नेता, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की गिनती होती हो वो सेक्स स्कैंडल में पकड़ा जाए, धर्म के क्षेत्र में जिसकी तुलना शंकराचार्य से की जाने लगी हो उसकी आपतिजनक वीडियो टीवी पर प्रसारित हो जाती है., और उनके काले कारनामे की पोल खुल जाती है. टीवी पर बहस छिड़ जाती है, नैतिकता की दुहाई दी जाती है. पर क्या नैतिकता की बात करने वालों के बीच भी ऐसे लोग है जो अपने कारनामो से इन आहूजाओं, नित्यानंद और भीमानंद से किसी मायने में कम नहीं. सवाल अब मीडिया के बीच से ही उठने लगे है की क्या बॉलीवुड के दायरे से बाहर निकल कर कास्टिंग काउच, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में भी घर कर गया है.
जाने माने पत्रकार अजित अंजुम ने अपनी फेसबुक पर ये लिखा की कैसे उनसे कुछ लड़कियों ने अपनी व्यथा सुनाई की मास कॉम की पढाई करने के बाद जब नौकरी की तलाश में वे मीडिया के वरिष्ठों से मिली तो उनका व्यवहार कैसा रहा. कई लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आयीं जिन्होंने मीडिया में हो रहे कास्टिंग काउच पर खुल कर अपनी बात रखी. कईयों ने इशारों इशारों में उन लोगों की तरफ इशारा भी किया जो मीडिया में नारी शरीर के कुछ ज्यादा ही शौक़ीन हैं.
दरअसल मीडिया में इस तरह की बात नयी नहीं है. पर अब जब बहस हो रही है , इस बहस में कई ऐसे लोग भी शामिल हो जायेंगे जो इन गतिविधियों में लिप्त रहे हों. मीडिया सेक्टर में वर्क प्लेस पर लड़कियों का शोषण भी ठीक वैसे ही होता है जैसे दूसरे सेक्टर में. काम दिलाने के नाम पर लड़कियों से कम्प्रोमाइज करने को कहा जाता है, थोडा घुली मिलीं तो खुलम खुला डिमांड कर दिया जाता है, और ऐसे में ये थोड़ी भी फ्लेक्सिबल हुई तो बॉस की मन मांगी मुराद पूरी हो जाती है. कम्प्रोमाइज करने वाले को उसका मनमाफिक सामान मिल जाता है तो बॉस भी लट्टू होकर आगे पीछे घूमता फिरता है. पर उनका क्या जो इस गंदगी से दूर रहती हैं. बॉस के डिमांड को पूरा नहीं करतीं. उनके लिए तो बस शिफ्ट करो. जलालत सहो, मेहनत करो और मानसिक प्रताड़ना सहो.
खैर, मीडिया में अब ये सब कुछ हो रहा है तो इसके पीछे कम समय में शोर्टकट के जरिये सब कुछ पा लेने की चाहत है, जिसके लिए कोई कुछ भी कर सकने को तैयार बैठा है. तो दूसरी तरफ बॉस की इच्छा भी पूरी हो जाती है.
कुल मिला कर कहे तो अब मीडिया के इन पाखंडियों को बेनकाब करने की जरुरत है. सवाल ये भी उठता है कि अब जब मीडिया के भीतर से ही वैसे लोगों के खिलाफ आवाज़ उठने लगी है जो कास्टिंग काउच जैसे घृणित कार्यों में लिप्त हैं तो भला कोई उनका नाम खुल कर क्यूँ नहीं बताता.

3 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

नाम भी तो बताये जाने चाहिये, तभी तो लोगों को पता चलेगा..

latikesh said...

akhilesh
we have published yr. article on our website www.mediamanch.com .
kindly read and reply us on mediamunch@gmail.com
latikesh

कुमार संभव said...

भैया अखिलेश आप को हम बता दें की इनको बेनकाब कर के भी कोई सुधरने वाला नहीं है. कुछ दिन पहले आप को याद होगा की सारे मीडिया पोर्टल पर एक TRP EXPERT या कहें TRP बाबा कुछ इसी अवस्था में प्रकट हुए थे. एक और बात है अजित अंजुम जी से वो लड़कियां मिली थीं जिन्हों ने बॉस के नापाक इरादों को भाप लिया था. लेकिन कुछ ऐसी भी हैं जो मीडिया में आने से पहले ही इन बातों को जानती हैं. अब आप बताएँ दोनों पार्टी राजी तो क्या करेंगे अखिलेश जी और अजीत जी ???? समस्या काफी गंभीर है .. और ईमानदारी से काम कर इस तरह के लोगों को दरकिनार किया जा साकता है.....मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे इमानदार और सिनिअर साथी इस बात का महत्व समझेंगे.

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