Thursday, April 10, 2008

मीडिया में कॅरिअर बनने की बात मत सोचना

समाचार पत्रों के रोजगार विषयक पन्नों में अकसर देखता हूँ , मीडिया में रोजगार के सुनहरे अवसर होने की बात लिखी जाती है । लेकिन मीडिया के फिल्ड में कितना रोजगार है , ये बात मीडिया में काम करने वाले लोग बखूबी जानते हैं । पहले मीडिया का छात्र और फ़िर एक पत्रकार होने के नाते में ये बात अच्छी तरह समझ सकता हूँ । आज मुझ जैसे नए लोगो को भटकना पड़ता है , काम मिलता भी है तो मुश्किल से । हर जगह पैरवी , पहुँच वालो की नौकरी पक्की हो जाती है योग्यता की बात करना ही वहाँ फिजूल है ।यही नही अब तो पत्रकारिता की पढ़ाई कराने वाले कई संस्थान कुकुरमुत्ते की तरह खुल गए हैं , जो सालाना लाखों की कमाई करते हैं , लेकिन उनके लिए कॅरिअर के भूखे युवाओं की चिंता जरा भी मायने नही रखती । कई सपने सहेज कर मीडिया में काम करने की उम्मीद लिए इन युवाओं को झटका तब लगता है जब बायोडाटा लेकर वे मीडिया हाउस के चक्कर लगाते हैं । अब वो दिन दूर नही दिखता जब लोग इन ठगों को दौड़ा- दौड़ा कर पीटेंगे

1 comment:

ab inconvenienti said...

मारना तो सभी कैरिअर के सपने दिखाने वालों को चाहिए............... पर ये करिअर के भूखे युवा भेड़चाल में जाते ही क्यों हैं? एक समय कानून की पढ़ाई का ज़ोर था तो सभी करिअर बनाने के लिए 'एल एल बी' ही करते थे. ज़रा आज़ादी के आस पास के प्रसिद्ध लोगों की योग्यता पर नज़र डालें: महात्मा गाँधी, मोतीलाल-जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, तिलक, अम्बेडकर, जिन्ना, इकबाल, राजगोपालाचारी. इन सब में राजनीती के अलावा एक और खास बात थी......... ये सभी वकील थे 'एल एल बी'. 70's के बाद साइंस का क्रेज आया और जल्द ही इंजीनियरिंग/मेडिकल के क्रेज में बदल गया. कुकुरमुत्तों की तरह कोचिंग खुल गयीं. कोचिगों के पीछे पीछे प्राइवेट इंजीनियरिंग/मेडिकल कोलेज खुल गए. फ़िर कम्प्यूटर कोर्सेस और कम्प्यूटर क्लासेस. इनमे कुछ संभावनाएं कम होना शुरू हुईं तो ग्लोबलाइज़ेशन् के आने से मैनेजरों की भारी मात्र में ज़रूरत पड़ने लगी. हर कोलेज/यूनिवर्सिटी/तकनिकी संस्थान ने MBA कराना शुरू कर दिया. अब वैश्विक मंदी और स्तरहीन प्रबंधन शिक्षा के कारण MBA वाले भी बेरोजगार होने लगे. तो साब, अभी कोई नया मेजर ट्रेन्ड नज़र में नही है तो पत्रकारिता, मीडिया, फाइन आर्ट, बायोटेक, बी एड, मोडलिंग जैसे नए नए शिगूफे सिर्फ़ पेज भरने और एजुकेशन इंडस्ट्री से माल बटोरने के लिए छोड़े जा रहें हैं. ये सब कोर्सेस करने वालों में कुछ को तो रोज़गार मिलेगा बाकि हाथ में डिग्री लिए चप्पल घिसेंगे.

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