कितनी अजीब बात है १९४७ में भारत के दो टुकड़े होने के बाद भी हमने अपने इतिहास से कुछ सबक नही ली है । कभी हिंदू मुस्लिम के नाम पर तो कभी मराठा और बिहारी ,असामी -हिन्दी भाषी के नाम पर हम आमने सामने हो जाते हैं । मरने मारने पर उत्तारु हो जाते हैं । क्या कभी कोई हिन्दुस्तानी होने के बारे में सोचता है? हम साथ मिलजुल कर भारत के विकास की बात क्यों नही सोचते ? आज यह सवाल हमारे जेहन में जरुर आनी चाहिये।
No comments:
Post a Comment