बहुत खुशी हुई की किसी ने झारखण्ड और बिहार में पत्रकारों की बदहाल स्तिथि पर भड़ास में आवाज़ उठाई , खास कर झारखण्ड में खुल रहे एक उपग्रह चैनल जो की कोलकत्ता की एक बड़ी ग्रुप द्वारा खोला जा रहा है । चैनल की बदहाल स्तिथि पर मैंने बहुत पहले लिखा था पर अब मेरी बात को जुबान मिलने लगा है । हाल ही में इस चैनल के ऐ चार हेड और सीईओ आपस में भीड़ गए । लातम जूतम हुई । सीईओ साहब की तो यहाँ मनमानी चलती ही है । इसी मनमानी के शिकार न्यूज़ एडिटर भी हुए । उन्हें भी नौकरी से हाथ गवानी पड़ी । हलाकि न्यूज़ एडिटर और ऐ चार भी दूध के धुले नही हैं । सीईओ के साथ मिलकर उन्होंने भी कईयों को बाहर का रास्ता दिखा दिया । पत्रकारिता की शुरुआत कर रहे युवाओ को धमकी भरा ईमेल भेजा गया। एक को तो न्यूज़ एडिटर ने यह भी कहा की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम कर आप रजत शर्मा नही बन जायेंगे काम करना है तो कीजिये नही तो यहाँ से जाइये । फिर कुछ दिन बाद ही उस युवा को मीटिंग में लज्जित कर निकाल दिया गया। ऐसा नही था की वह अयोग्य था , लेकिन उसकी गलती थी की उसने सीईओ की ग़लत नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी । ऐसे में जरा सोचिये उस युवा पर क्या बीती होगी ? पत्रकारिता के शुरुआत में ही मीडिया के दलालों ने उसकी मानसिकता पर क्या प्रभाव डाला होगा ?
खैर खुशी हुई की किसी ने नामी ब्लॉग "भड़ास " में इस चैनल में हो रही गतिविधिओं की जानकारी दी । इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
The worldwide economic crisis and Brexit
8 years ago
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