Thursday, February 21, 2008

मीडिया की मंडी

एक मीडिया पर्सन दूसरो पर हो रहे जुल्मों सितम की आवाज़ जोर शोर से उठाता है । पर मीडिया हाउस में ख़ुद पर हो रहे अत्याचार को वह चुपचाप सह लेता है । लेकिन इस चुप्पी के पीछे उसकी मज़बूरी यह नही होती की वह कमजोर इन्सान है , अब पत्रकार नौकरी करते हैं । और जो लोग नौकरी करते हैं उनकी अपनी व्यावसायिक समस्याएँ होती हैं । यही समस्या पत्रकारों के भी साथ होती है । पत्रकारिता एक पेशा है जहाँ समाज में हो रहा जुल्मोसितम बिकाऊ मसाला है । इसी लिए मीडिया हॉउस के मालिक ऐसे मामलों को तो उठाते हैं ,लेकिन पत्रकारों के साथ उनका सलूक ख़ुद ही जयादती भरा होता है ।

3 comments:

akash kumar said...

app likhte acha hai aur mujhe ye pasand hai

akash kumar said...

akash kumar

tum media ke fild me jaroor nam rosan karoge yeh meri shubhkamna hai

कुमार संभव said...

waah lage raho kuch bhi kaho yaar tum bhadas nikal dete hooo

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