हम बात कर रहे हैं राजनीती की ,यहाँ पल पल अपने वादों से पलटना, नित्य नए नए गठबंधन बनाना आम बात है । पर हमेशा यही होता है हर नए गठबंधन को हमारे नेता जनता के हितों के लिए की गई आपसी सहमति बताते हैं । पर अब तक हुए ऐसे समझौते या सहमति से जनता का कितना हित हुआ है यह जवाब किसी के पास भी नही । वज़ह यह है कि ये सारे गठबंधन स्वार्थ के बुनियाद पर बने हैं । नेताओं का हित जब तक पूरा हुआ गठबंधन भी बना रहा । अब ऐसा ही स्वार्थपरक गठबंधन बनाने के लिए झारखण्ड के पूर्व मुख्यमन्त्री बाबूलाल मरांडी लालायित दिख रहें हैं । ६ फरवरी को उनके द्वारा आयोजित परिवर्तन रैली का उद्देश्य भी अपने इसी नए गठबंधन को जनता के सामने लाना है । कभी सफ़ेद धोती के नीचे आर एस एस की खाकी हाफ पैंट पहनने वाले बाबूलाल आज धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद का मुखौटा लगाकर समाजवादी कहे जाने वाले नेता मुलायम सिंह ,अमर सिंह के साथ राजनीतिक मंच पर आने के लिए आतुर हैं । अब देखना है उनका यह नया गठबंधन झारखण्ड और यहाँ की जनता के लिए कितना हितकारी होता है?